पितरों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष के लिए कर्मों का प्रायशित्त करना सबसे श्रेष्ठ कर्म : पं. पांडे

स्टेट न्यूज़ ,धर्म,   
img

पितरों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष के लिए कर्मों का प्रायशित्त करना सबसे श्रेष्ठ कर्म : पं. पांडे 
इन्दौर । भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। हमारी संस्कृति में ऐसे प्रावधान भी हैं कि हम अपने बुरे कर्मों या जाने-अनजाने में किए गए आचरण का प्रायश्चित अपने दिवंगत परिजनों की मृत्यु के बाद भी कर सकते हैं और पाप से मुक्त हो सकते हैं। कोई भी पितर अपनी संतान का बुरा नहीं चाहते लेकिन उनकी आत्मा की शांति एवं मोक्ष के लिए हम यदि तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से अपने कर्मों का प्रायश्चित कर सकें तो इससे श्रेष्ठ कोई काम नहीं हो सकता।

केशरबाग रोड़ स्थित प्राचीन अहिल्या माता गौशाला पर चल रहे श्रद्धा पर्व में चतुर्थी तिथि पर तर्पण के दौरान पं. मनोज पांडे ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। आज लगभग 40 साधकों ने तर्पण एवं श्राद्ध में भाग लिया। गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, सचिव पुष्पेंद्र धनोतिया एवं संयोजक सी.के. अग्रवाल ने बताया कि गौशाला पर प्रतिदिन आने वाले साधकों की सुविधा के लिए हरा चारा, दलिया, गौग्रास लड्डू, कच्ची भोजन सामग्री, गौदान, अन्नदान आदि सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। गौशाला स्थित सप्त गौमाता मंदिर पर आज भी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग एवं फेस मास्क का पालन करते हुए सपरिवार पहंुचकर गायों को उनके प्रिय व्यंजनों का भोग लगाया। सोमवार 7 सितंबर को पंचमी तिथि पर तर्पण एवं श्राद्ध होगा। इस दिन कुंवार पंचमी है और इसमें 14 वर्ष से कम आयु के किशोर बालकों की अकाल मृत्यु का श्राद्ध होगा। नवमी तिथि को सौभाग्यवतियों, एकादशी को दिव्यात्मा साधकों, द्वादशी को संन्यासियों, चतुर्दशी को दुर्घटना में मृत लोगों का श्राद्ध और तर्पण होगा। सर्व पितृ अमावस्या पर 17 सितंबर को ज्ञात-अज्ञात तिथियों वाले दिवंगतों का श्राद्ध होगा। गौशाला पर प्रतिदिन अहिल्या बाई होलकर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और देश के लिए शहीद होने वाले सपूतों के लिए भी श्राद्ध एवं तर्पण किया जा रहा है। गौशाला पर शास्त्रोक्त विधि से प्रतिदिन सुबह 8 से दोपहर 1 बजे तक पितरों के तर्पण की निशुल्क व्यवस्था रखी गई है। तर्पण की समस्त सामग्री गौशाला पर निशुल्क उपलब्घ है।



सोशल मीडिया