सरकारी बैंकों के निजीकरण पर विचार करने की आवश्यकता - आचार्य
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की पिछली बैठक में सरकारी बैंकों की पूंजी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक के अधिकारियों और सरकार के नुमाईंदों के बीच काफी तकरार होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। इसी दौरान रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बैठक में सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सरकारी बैंकों के निजीकरण पर विचार करने की आवश्यकता है।
रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने सरकार से स्पष्ट रूप से कहा कि बैंकों के पूंजीकरण के लिए एक सीमा से अधिक पैसा नहीं दिया जा सकता है। इससे राजकोषीय घाटे में असर पड़ेगा रिजर्व बैंक की बोर्ड बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया की सरकार को सरकारी बैंकों में केंद्र की हिस्सेदारी 50 फ़ीसदी से कम करने की अनुशंसा की गई थी। मोदी सरकार अपने अब तक के कार्यकाल में दो बार सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश कर चुकी है। अगस्त 2015 में रु. 700 और अक्टूबर 2017 में सरकार ने 2 दिसंबर 12:00 लाख करोड़ सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश करने की घोषणा की है। इसमें से एक लाख करोड़ रुपए सरकारी बैंकों में डाले जा चुके हैं। रिजर्व बैंक के सूत्रों का कहना है कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच निरंतर चर्चाएं चल रही हैं। अगली बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैकोे की स्थिति की समीक्षा होगी।
सरकारी बैंकों के निजीकरण पर विचार करने की आवश्यकता - आचार्य
बिज़नेस , Nov 13 2018







