उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने जेयू की उपलब्धियों, परिसर और स्पोर्ट ग्राउंड की तारीफ
ग्वालियर / नई शिक्षा नीति में रिसर्च पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। हमें समय और जरूरत के बीच तालमेल बनाना होगा। विश्वविद्यालय में तकनीकी का विकास सही तरह से हो सके, इसके लिए विवि और स्मार्ट सिटी के बीच कोलोबरेषन किया जाए, ताकि स्मार्ट सिटी के माध्यम से फंड की व्यवस्था हो सके। विश्वविद्यालयीन शिक्षकों की पेंशन संबंधी समस्या का निराकरण के लिए प्रयास करेंगे। इसके अलावा टीचिंग कोर्स के लिए एनओसी जल्द मिले, इसके लिए प्रयास करेंगे। कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति में आने वाली चुनौतियों का सामना आप और हम मिलकर करेंगे। यह बात प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही। वह जीवाजी विश्वविद्यालय के टंडन हॉल में बैठक ले रहे थे।
बैठक में जेयू की वीसी प्रो. संगीता शुक्ला ने प्रजेंटेशन के माध्यम से विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, रिसर्च और कार्यों के बारे में बताया। इसके लिए मंत्री डॉ. मोहन यादव ने जीवाजी विश्वविद्यालय की तारीफ की और कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर जेयू की ओर से रेक्टर प्रो. डी डी अग्रवाल, डीसीडीसी डॉ. केशव सिंह चौहान, प्रभारी कुलसचिव डॉ. आई के मंसूरी, वित्त नियंत्रक सगीरा सिद्दीकी, कार्य परिषद सदस्य वीरेंद्र गुर्जर, अनूप अग्रवाल, डॉ. मुनेंद्र सोलंकी सहित विश्वविद्यालय के डीन मौजूद रहे। इसके अलावा राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विवि के अधिकारीगण भी मौजूद रहे।
आत्म निर्भर बनने की ओर प्रयास करें
डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आगामी दस सालों में संबद्धता व्यवस्था समाप्त हो जाएगी, इसलिए विश्वविद्यालय को अपने आर्थिक स्त्रोतों का सृजन स्वयं करने की ओर बढ़ना होगा, जिससे कि वे आत्म निर्भर बन सकें।
जेयू की उपलब्धियों की तारीफ की
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने सीआईएफ और स्पोर्ट ग्राउंड का निरीक्षण किया और जीवाजी विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, परिसर और स्पोर्ट ग्राउंड की तारीफ की और कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला को धन्यवाद दिया। इसके अलावा उन्होंने बॉटनीकल गार्डन में पौधरोपण किया, जिसमें विभाग की ओर से हेड प्रो. एमके गुप्ता, प्रो. अविनाश तिवारी, डॉ. सुशील मंडेरिया और डॉ. सपन पटेल मौजूद रहे।
कॉलेजों के प्राचार्यों की ली बैठक
इससे पहले डॉ. मोहन यादव ने लीड कॉलेजों के प्राचार्यों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने कहा कि इस बार से हमने ऑनलाइन क्लासेस शुरू की हैं, मतलब कि पढ़ाई के सिस्टम में बदलाव लाए हैं। हो सकता है आने वाले समय में एग्जाम के पैटर्न में बदलाव करना पड़े। यह हमारे आगे बड़ी चुनौती है। यह ध्यान देना होगा कि एग्जाम समय पर हों।
यह भी कहा -
- कॉलेजेज में छोटे- मोटे विकास के लिए कलेक्टर को प्रपोजल देकर किसी भी सरकारी एजेंसी से कार्य करा सकते हैं।
- आत्म निर्भर भारत की दिशा में कदम उठाने होंगे। इसके लिए सेल्फ फाइनेंस पर नए डिप्लोमा या अन्य कोर्स की शुरूआत कर सकते हैं।
- आने वाले 20 सालों में कॉलेजों को प्रमोट करने की दिशा में काम करने के लिए मास्टर प्लान पर कार्य करना होगा। यह कार्य 5- 5 साल की चार स्टेज में होना चाहिए।
- कॉलेज में विकास के लिए विधायक या सांसद निधि से भी मदद ले सकते हैं।
- साइंस के छात्रों को रिसर्च के लिए प्रोत्साहित करें। इसके लिए उन्हें शैक्षणिक टूर कराएं।
- जिला व संभाग लेवल पर विज्ञान सम्मेलन आयोजित करा सकते हैं।







