विधानसभा चुनाव 2018
नेता पुत्रों की दावेदारी से भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी
ग्वालियर। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में विभिन्न दलों में उम्मीदवारी के लिए प्रत्याशियों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। वहीं यदि अंचल की बात करें तो भाजपा में कद्दावर नेता और मंत्री पुत्रों के नाम भी प्रमुख रूप से सामने आ रहे हैं जिससे लम्बे समय से टिकट की आस लगाए बैठे कार्यकर्ताओं में नाराजगी दिखाई दे रही है।
यूं तो भाजपा की ओर से अंचल की प्रत्येक सीट पर दावेदारों की लम्बी लाइन है, लेकिन इनमें कुछ कद्दावर नेता और मंत्री पुत्रों की दावेदारी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का कारण बन रही है। यह नाराजगी चुनाव में पार्टी के लिए घातक भी हो सकती है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस स्थिति से ऐसे कार्यकर्ताओं का जोश ठण्डा पड़ सकता है जो लम्बे समय से पार्टी के लिए जी जान से काम कर रहे हैं और टिकट की आस लगाए हुए हैं। वहीं यह स्थिति चुनावों में पार्टी के लिए हानिकारक हो सकती है।
कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाने वाली भाजपा स्वयं ही इस दिशा में जाती दिखाई दे रही है। यही कारण है कि वरिष्ठ नेता और मंत्री अपने पुत्रों को राजनीति में लाने के साथ ही अब उन्हें विधायक और सांसद बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर उर्फ रामू
सबसे पहला नाम केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ रामू का लिया जा सकता है जो कि पिछले चुनावों में भी ग्वालियर सीट से दावेदारी दिखा चुके हैं और टिकट नहीं मिलने के बाद से लगातार राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर भाजपा नेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। बताया जाता है कि रामू इस बार फिर से ग्वालियर विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में दावेदारी कर रहे हैं। वहीं राज्य से लेकर केन्द्र तक उनके पिता की पार्टी में दखलदांजी उनकी दावेदारी को दमदार बना रही है।
पीताम्बर सिंह
इसी कड़ी में एक नाम राज्य सरकार की मंत्री श्रीमती माया सिंह और पूर्व मंत्री मामा ध्यानेन्द्र सिंह के पुत्र पीताम्बर का भी है। पिछले चुनाव में हालांकि उनकी दावेदारी नहीं थी लेकिन उस दौरान उन्होंने ग्वालियर पूर्व से प्रत्याशी रहीं अपनी मां श्रीमती सिंह के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया था। इसके साथ ही इस दौरान पीताम्बर पार्टी की युवा इकाई के साथ जुड़कर काम करते आ रहे हैं। वहीं अब जबकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। हालांकि उनके पिता ध्यानेन्द्र सिंह और मां माया सिंह भी टिकट के दावेदार हैं लेकिन इनमें से किसी एक को ही पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाया जाएगा।
तुष्मुल झा:-
राज्यसभा सांसद प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा का भी नाम विधानसभा चुनाव के दावेदारों में लिया जा रहा हैै। तुष्मुल पार्टी में एक युवा नेता के रूप में काम कर रहे हैं और पिछले कुछ समय से लगातार सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वहीं सांसद प्रभात झा का यह पूरा प्रयास है कि उनके पुत्र को विधानसभा टिकट मिल जाए। हालांकि इसे लेकर पार्टी के युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष है लेकिन इसके बावजूद तुष्मुल का नाम प्रमुख दावेदारों में सामने आ रहा है।
राजेश सोलंकी:-
वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान में त्रिपुरा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के पुत्र राजेश सोलंकी भी टिकट के दावेदारों में हैं। हालांकि उनका नाम युवा नेताओं में लिया जाता है लेकिन वह लम्बे समय से आरएसएस से जुड़े हुए हैं वहीं पिता के स्थानीय राजनीति से बाहर होने के बाद लगातार अपना वर्चस्व पार्टी में बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए जहां वह स्वयं प्रयासरत हैं वहीं उनके पिता की आरएसएस और पार्टी में लम्बी पारी को देखते हुए उन्हें यह विश्वास है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी। इतना ही नहीं उनके पिता श्री सोलंकी भी इसके लिए प्रयासरत बताए जा रहे हैं।
कुणाल मिश्रा
इसी तरह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी अपने पुत्र कुणाल को अपना उत्तराधिकारी बनाकर मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कुणाल डबरा और दतिया क्षेत्र में राजनीतिक और सामजिक मंचों पर दिखाई दे रहे हैं।
राकेश सिंह
मंत्री रुस्तम सिंह भी अपने पुत्र राकेश को राजनीति के मैदान में उतार चुके हैं। इन दिनों मुरैना क्षेत्र में राकेश सिंह पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में दिखाई दे रहे हैं। इस माध्यम से मंत्री रुस्तम सिंह इस प्रयास में हैं कि राकेश को विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी टिकट दे दे।
कुल मिलाकर भाजपा नेता पुत्रों की दावेदारी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए खतरा बन सकती है। इसके पीछे प्रमुख कारण उन कार्यकर्ताओं में नाराजगी बताई जा रही है जो कि वर्षों से पार्टी में लगन और मेहनत से काम कर रहे हैं और आज तक उन्हें उसका उचित फल नहीं मिला तो नेता पुत्रों के अचानक राजनीति में आने के साथ ही चुनाव में उनकी दावेदारी उन्हें रास नहीं आ रही।












