भूमि अधिकार के लिए आज दिल्ली रवाना हुए सत्याग्रही

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भूमि अधिकार के लिए आज दिल्ली रवाना हुए सत्याग्रही
ग्वालियर। जनांदोलन के तीसरे दिन जनंादोलन की यात्रा ने आज दिल्ली के लिए कूच किया। देश भर से 25 हजार सत्याग्रही मेला मैदान से 9 बजे कूच किया। सत्याग्रह पदयात्रा गोले का मंदिर होते हुए जलालपुरा गांव से मुड़कर रूद्रपुर गांव को पार कर फोर लेन हाईवे तक पहुॅची और शाम का पड़ाव हाईवे पर होगा। जहां पर सत्याग्रहियों की व्यवस्था के लिए पहले से 50 टैंकर पानी और 26 दलों के भोजन व्यवस्था टीम जाकर तैयारी की गई है।  उक्त आशय की घोषण एकता परिषद के संस्थापक और जनांदोलन के नेता राजगोपाल पी.व्ही.ने की। राजगोपाल ने कहा कि भूमि सुधार नीति और कृषि सुधार नीति उसको पूर्णता में देखना होगा। सरकार जनांदोलन की मंशा के अनुरूप मांगों पर कार्यवाही करने की बजाय पिछली बैठकों का हवाला दिया है, किंतु यह नहीं बताया है कि आवासीय भूमि अधिकार कानून तथा भूमि सुधार नीति को लेकर सरकार का रूख स्पष्ट नहीं किया गयाह ै। सुब्बराव जी ने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों में गरीबी और अमीरी के बीच जमीन आसमान का अंतर है। नक्सलवादी इस असमानता को मिटाने की लड़ाई लड़ रहे हैं किंतु प्रेम, आत्मानुशासन और अहिंसा की ताकत बदंूक की ताकत से ताकतवर होती है। सरकार, जनता और आंदोलनकारी मिलजुलकर काम करेंगे तो सामजिक बदलाव जल्दी और टिकाउपन होगा। अरूणा राय ने कहा कि राजनैतिक बदलाव तभी संभव होगा जब किसान और मजदूर एकजुट होकर काम करेंगे। धर्म और राजनीति के आधार पर जनता को नहीं बांटा जा सकता है। संविधान को अक्षुण रखने में ही देश की भलाई है। बसवराज पाटिल ने कहा कि विकास के पश्चिमी माडल से देश का विकास संभव नहीं है। उन्होनें सरकार की नीतियों को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि विकास के नाम पर सरकार गरीबी की जमीन का अधिग्रहण करके कम्पनियों को दे रही है। बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदयनारायण चैधरी ने कहा कि सरकार की नीतियां अर्थकारी परिणाम लाने में असमर्थ है। इसलिए अधिकार मांगने से नहीं बल्कि संघर्ष करने से ही मिलेगा। देश मे अघोषित आपालकाल की स्थिति है जहंा अभिव्यक्ति के अधिकारों को दबाया जा रहा है।

 

 



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