भाजपा-कांग्रेस मुश्किल में

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कांग्रेस-भाजपा मुश्किल में
नहीं कर पा रहे प्रत्याशियों का चयन

ग्वालियर। विधानसभा चुनाव के लिए पर्चा भरने की तारीख नजदीक आ गई है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा अब तक अंतिम रूप से अपने प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी नहीं कर सके हैं। इसके पीछे कारण दोनों ही दलों में लगभग प्रत्येक सीट पर दावेदारों की लम्बी लाइन है। 
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के लिए आगामी 28 नवम्बर को वोट डाले जाएंगे जबकि इसके लिए प्रत्याशियों द्वारा पर्चा भरने का काम 2 नवम्बर से प्रारंभ होना है। इधर दोनों ही पार्टियों में दावेदार वरिष्ठ नेतृत्व और स्थानीय नेताओं के समक्ष शक्ति प्रदर्शन में लगे हुए हैं। इसके साथ ही अब खुशामद का दौर भी शुरू हो गया है। उधर चुनाव संयोजक और समितियां प्रत्याशी चयन के लिए लगातार मंथन कर रही हैं। लेकिन अब तक सिंगल नाम तय करने में दोनों ही दलों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
नाम और सीटों को लेकर अटकलें
यदि ग्वालियर जिले की छह सीटों को ही लिया जाए तो चुनाव की तारीखों का एलान होने से काफी पहले ही दोनों ही पार्टियों की ओर से प्रत्याशियों के नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। यदि कांग्रेस की बात करें तो अब भी भितरवार से लाखन सिंह और डबरा से इमरती देवी का नाम लगभग तय माना जा रहा है। लेकिन चार अन्य सीटों को लेकर अंतिम नामों को लेकर संशय बना हुआ है। यहां पूर्व से मुन्नालाल गोयल को पार्टी इस बार भी चुनाव मैदान में उतारने की अटकलें हैं लेकिन यहां अब तक अंतिम नाम तय नहीं किया जा सका है। कुछ ऐसी ही स्थिति दक्षिण, ग्वालियर और मुरार ग्रामीण सीट को लेकर भी है। उधर भाजपा की बात करें तो यही चर्चा है कि इस बार भी दक्षिण से एक बार फिर नारायण सिंह कुशवाह के टिकट पर पार्टी अंतिम मुहर लगा चुकी है तो ग्वालियर से जय भान सिंह पवैया अथवा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पुत्र रामू को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। यहां पूर्व में स्थिति पेचीदा है। सांसद अनूप मिश्रा यहां से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन पार्षद सतीश सिकरवार लगातार पिछले पांच वर्ष से इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं और किसी भी स्थिति में टिकट चाहते हैं। वहीं वर्तमान विधायक और मंत्री माया सिंह भी यहां से दावेदार हैं। जबकि मुरार ग्रामीण मेें भारत सिंह पर एक बार फिर पार्टी दांव लगा सकती है। उधर भितरवार की बात करें तो अनूप का नाम यहां भी दावेदारों में लिया जा रहा है लेकिन दावेदारों की लम्बी कतार के चलते पार्टी दिग्गजों को टिकट फायनल करने में काफी मुश्किल हो रही है। डबरा में भी ऐसी ही स्थिति का सामना पार्टी को करना पड़ रहा है।
कुल मिलाकर प्रत्याशियों की अंतिम सूची और नाम तय करने में दोनों ही पार्टी किसी भी तरह की चूक के लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि लगातार मंथन के बावजूद अब तक अंतिम रूप से प्रत्याशियों के नाम तय करना उन्हें भारी पड़ रहा है।



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