अपने ही बिगाड़ेंगे काम------
बागियों से भाजपा कांग्रेस दोनों ही परेशान
ग्वालियर। विधानसभा चुनाव में जीत की आस लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही समीकरण इन पार्टियों के बागी बिगाड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि दिग्गज इन्हें समझा बुझाकर किसी तरह मनाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनकी सारी कोशिशें बेकार होती दिखाई दे रही हैं। हालांकि अब भी उन्हें 14 नवम्बर नाम वापसी के दिन का इंतजार है।
इसे लेकर यदि अंचल की ही बात करें तो लगभग हर सीट पर बागी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का गणित बिगाडऩे में लगे हैं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो ग्वालियर दक्षिण सीट पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी प्रवीण पाठक का पार्टी के अपने लोग ही जमकर विरोध कर रहे हैं। इनमें वे नेता भी शामिल हैं जो कि इस सीट से दावेदारी जता रहे थे। इनमें जहां वरिष्ठ नेता अन्दर ही अन्दर कांग्रेस प्रत्याशी को कमजोर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि समय रहते इन्हें समझाइश नहीं दी जाती तो निश्चित रूप से यह लोग पार्टी के लिए घातक हो सकते हैं।
उधर इसी सीट से भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह के लिए पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता मुसीबत बन रही हैं। हालांकि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ ही राज्यसभा सांसद प्रभात झा सहित अन्य दिग्गज नेता उन्हें मनाने में लगे हुए हैं लेकिन बात बनती दिखाई नहीं दे रही। यूं तो अभी नाम वापसी में एक दिन बाकी है लेकिन यदि समीक्षा फिर भी पर्चा वापस नहीं लेतीं तो यह कांग्रेस के लिए लाभ और भाजपा के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकता है।
ग्वालियर ग्रामीण से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे साहब सिंह गुर्जर उन्हें तबज्जो नहीं देने पर पार्टी छोड़ हाथी की सवारी कर रहे हंै। यहां से कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार मदन कुशवाह हैं। लेकिन साहब सिंह की खिलाफत मदन को नुकसान पहुंचा सकती है। इधर भाजपा को भी यहां अपनों की बगावत से खतरा है। उधर भितरवार में भाजपा ने तिकड़म लगाकर किसी तरह ब्रजेन्द्र तिवारी को मैदान में उतरने से रोक लिया। लेकिन अब भी यहां उसके बागी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में हैं। यही स्थिति कांग्रेस की भी है।
हावी हैं बागी, दिग्गजों पर है समझाने की जिम्मेदारी
हालांकि इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही किसी भी स्थिति में कोई चूक करने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन दोनों ही पार्टियों का खेल इनके अपने बिगाडऩे में लगे हैं। कांग्रेस में इन्हें समझाने और संभालने की जिम्मेदारी पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्गज नेता, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर है। हालांकि समय रहते यह नेता बागियों को समझाने के पूरे प्रयास रहे हैं लेकिन इसमें कितनी सफलता मिलती है यह तो समय ही बताएगा। वहीं भाजपा में बागियों को संभालने के मुख्य जिम्मेदारी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पर है। इसके साथ ही राज्यसभा सांसद प्रभात झा पर भी यह जिम्मा है। लेकिन पार्टी के बागियों को बार-बार समझाने के बावजूद अब तक कोई बात नहीं बनी है जो कि पार्टी के लिए मुसीबत बन सकती है।
अपने ही बिगाड़ेंगे काम------
स्टेट न्यूज़ ,सिटी लाइव, Nov 13 2018







