विधानसभा निर्वाचन-2018
व्यय प्रेक्षक ने किया मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ का औचक निरीक्षण
केबल चैनलों, एफएम रेडियो व पेड न्यूज पर 24 घण्टे नजर
ग्वालियर / विधानसभा आम निर्वाचन के दौरान जिले में केवल चैनलों एवं एफएम रेडियो से प्रसारित कार्यक्रमों पर 24 घण्टे नजर रखी जा रही है। इसके लिये यहाँ मोतीमहल स्थित संभागीय जनसंपर्क कार्यालय परिसर में जिले के सभी विधासभा निर्वाचन क्षेत्रों का इकजाई मीडिया अनुवीक्षण कक्ष स्थापित किया गया है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जिले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 14 -ग्वालियर ग्रामीण व 15- ग्वालियर के लिये नियुक्त व्यय प्रेक्षक अजितेष राधाकृष्णन ने सोमवार को मोतीमहल पहुँच कर मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ का औचक निरीक्षण किया। व्यय प्रेक्षक राधाकृष्णनन ने लोकल केबल नेटवर्क और एफएम चैनल पर प्रसारित हो रही चुनावीगतिविधियों को रिकार्ड करने की कार्यवाही देखी । साथ ही सामचार पत्रों में से की जा रही चुनाव से संबंधित कतरनें देखी ।उन्होंने कहा कि सभी संदिग्ध कतरनों को एमसीएमसी समिति की बैठक रखें । खबरें पेड न्यूज साबित होने पर त्वरित कार्यवाही कर उनका व्यय संबंधित प्रत्याशी के खाते में जुड़वायें । विदित हो भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के तहत पेड न्यूज पर नजर रखने के लिये जिला स्तर पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में मीडिया अनुवीक्षण एवं प्रमाणन समिति (एमसीएमसी) गठित की गई है। आयोग ने "पेड न्यूज'' पर बारीकी से ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। एमसीएमसी द्वारा मीडिया सैल (मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ) के जरिए 24 घण्टे इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया द्वारा प्रसारित होने वाली खबरों की गहन छानबीन की जा रही है। पेड न्यूज साबित होने पर संबंधित प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय में पेड न्यूज प्रकाशन पर हुआ खर्च जोड़ा जायेगा। इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर चुनाव-प्रचार संबंधी कार्यक्रम व क्लिपिंग इत्यादि प्रसारित कराने के लिये प्रत्याषी को पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके लिये राजनैतिक दलों को तीन दिन और प्रत्याशियों को सात दिन पूर्व मूल स्क्रिप्ट सहित सम्पूर्ण प्रचार सामग्री की कैसेट एमसीएमसी देख रही है। मूल स्क्रिप्ट सहित सम्पूर्ण चुनाव प्रचार सामग्री की बारीकी से जाँच करने के बाद ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया से चुनावी प्रचार संबंधी कार्यक्रम व विज्ञापन पट्टियाँ प्रसारित करने की अनुमति दी जा रही है। इस जाँच में खासतौर पर यह देखा जा रहा है कि इस प्रचार-प्रसार में राजनैतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा चुनावी खर्चा तो नहीं छुपाया जा रहा।







