शिवराज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से प्रभात होगें कमजोर
ग्वालियर। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने प्रदेश से हटाकर संगठन में एक बड़ी जिम्मेदारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में सौंपी है। इसका सीधा असर जहां प्रदेश की राजनीति पर पडऩे की संभावना है वहीं इसका असर पार्टी के वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष प्रभात झा पर भी पड़ सकता है।
15 साल से सफलता पूर्वक प्रदेश में सरकार चला रहे शिवराज के नेतृत्व में पार्टी को हार क्या झेलना पड़ी,उन्हें प्रदेश की राजनीति से ही दूर कर दिया गया। उधर सूत्रों की मानें तो यह पहले से ही तय था क्यों कि चुनाव पूर्व से ही पार्टी की स्थिति कमजोर दिखाई दे रही थी। वहीं पार्टी में ही शिवराज के विरोधी इसके लिए रणनीति बना रहे थे। और उन्हें यह मौका मिल भी गया। लेकिन भले ही शिवराज की विदाई राज्य से हो गई हो लेकिन उन्हें पार्टी ने संगठन में एक बड़ा दायित्व सौंपकर कुछ ऐसे नेताओं के लिए खतरा पैदा कर दिया है जो कि केन्द्र के साथ ही प्रदेश में भी अपना असितत्व बनाए रखना चाहते थे। इनमें एक नाम प्रभात झा का भी लिया जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष बनने की लालसा
सूत्र बताते हैं कि एक बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके प्रभात झा फिर से इसी पद पर काबिज होने की इच्छा रखते हैं, इसके लिए कई बार उन्होंने प्रयास भी किए लेकिन केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने उनकी दाल नहीं गलने दी और जब भी अध्यक्ष बदले गए उन्होंने अपने पसंदीदा नेता को इस कुर्सी पर काबिज करा दिया। बताया जाता है कि अब जबकि शिवराज को संगठन में उनके बराबरी का ही पद मिल गया है तो इससे वह अपने को कमजोर पा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भले ही नरेन्द्र सिंह तोमर के रहते प्रदेश में उनकी अधिक नहीं चलती हो लेकिन फिर भी वह यहां दखल रखते थे। सूत्रों की मानें तो स्वयं नरेन्द्र सिंह की इच्छा प्रदेश में अपने को शक्तिशाली बनाए रखने की है। बताया जाता है कि यदि पार्टी राज्य में सत्ता में आती तो भले ही चुनाव शिवराज के नाम पर लड़ा गया था लेकिन वे यहां मुख्यमंत्री के रूप में काबिज होने का पूरा प्रयास करते लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जोर का झटका
सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के साथ ही केन्द्र की राजनीति में दखल रखने की मंशा पालने वाले प्रभात झा को शिवराज सिंह के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से जोर का झटका लगा है। सूत्रों की मानें तो उन्हें अब यह डर है कि प्रदेश में 15 साल मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता पर काबिज रहकर आने वाले शिवराज सिंह के कारण उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है, इसके चलते उन्होंने प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाना शुरू कर दी है और वह पहले की तरह एक बार फिर अपने को मजबूत बनाए रखने के लिए राज्य की राजनीति में अपना दखल बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
शिवराज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से प्रभात होगें कमजोर
स्टेट न्यूज़ ,सिटी लाइव, Jan 14 2019







