नरेन्द्र, गोविन्द, अनूप का मिलन

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नरेन्द्र, गोविन्द, अनूप का मिलन

राजनैतिक गलियारों में बना चर्चा का कारण

ग्वालियर। अब जबकि विधानसभा चुनाव के बाद सभी पार्टियां विशेष रूप से कांग्रेस और भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं तो इसी बीच इन दोनों दलों के नेता और मंत्री यदि कहीं साथ-साथ दिखाई पड़ जाएं तो इससे राजनीतिक चचाएं गरम हो जाती हैं।

ऐसा ही गत दिवस उस समय हुआ जबकि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश के सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह दिल्ली से एक साथ ट्रेन में बैठकर आए। यहां इन नेताओं का स्टेशन पर स्वागत करने के लिए दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता पहले से मौजूद थे। 
गोविन्द ने पहले नरेन्द्र का कराया स्वागत
ये दोना नेता जैसे ही स्टेशन पर उतरे तो कार्यकर्ता स्वागत के लिए दौड़ पड़े। इस दौरान गोविन्द सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं को इशारा करते हुए पहले नरेन्द्र सिंह का स्वागत करने के लिए कहा। वहीं स्वयं के समर्थन में नारे लगाने वाले कार्यकर्ताओं को चुप करा दिया। इसके बाद जाते-जाते भी दोनों नेताओं ने एक दूसरे की कुशलक्षेम पूछी और फिरी अभिवादन करते हुए एक-दूसरे को विदा किया। इसके बाद से ही यह चर्चा में बना हुआ है और लोग इसके मायने ढंूढने में लगे हुए हैं। चर्चा यह है कि अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो आखिर इन दोनों नेताओं के बीच की नजदीकियों का आशय क्या हो सकता है! लेकिन इसका जबाव शायद किसी के पास भी नहीं है।
अनूप के घर पहुंचे गोविन्द
एक ओर जहां गोविन्द सिंह दिल्ली से नरेन्द्र सिंह के साथ एक ही ट्रेन और डिब्बे में ग्वालियर आए वहीं इसके बाद गोविन्द सिंह अचानक ही भाजपा नेता और मुरैना सांसद अनूप मिश्रा के सिन्धी कॉलोनी स्थित निवास पर पहुंच गए। इसे लेकर भी लोगों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर इस मिलन का मतलब क्या है। हालांकि इसे लेकर गोविन्द सिंह और अनूप मिश्रा अपनी सफाई में यह कहकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं कि उनके पुराने पारिवारिक सम्बन्ध हैं और गोविन्द सिंह उनके घर हाल ही में हुई आगजनी की घटना पर अफसोस जताने गए थे। लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि यह सबकुछ लोकसभा चुनावों को लेकर चल रही रणनीति है।
विधानसभा से पहले भी अनूप की कांग्रेस में आने की थीं अटकलें
सूत्र बताते हैं कि यह सबकुछ लोकसभा चुनाव के लिए बनाई जा रही रणनीति के तहत है। भले ही नरेन्द्र और गोविन्द का दिल्ली से एकसाथ आना संयोग रहा हो लेकिन अनूप के घर गोविन्द सिंह का पहुंचना मात्र संयोग अथवा पारिवारिक कारण नहीं बल्कि इसके पीछे राजनीतिक कारण भी हैं। सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनावों से पहले भी अनूप को लेकर यह चर्चा चली थी कि वह काग्रेस का हाथ थामने वाले हैं लेकिन एन समय पर पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया और यह बात टल गई। लेकिन अब जबकि उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा तो यह चर्चा फिर से चल पड़ी है कि कहीं गोविन्द सिंह का अनूप के घर पहुंचना उस कहानी को पूरा करना तो नहीं है जोकि विधानसभा चुनाव के समय अधूरी रह गई थी। सूत्र बताते हैं कि इस मौके पर दोनो नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर भी अहम् चर्चा हुई है जिसके परिणाम शीघ्र ही सामने आ सकते हैं।



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