लोकसभा प्रत्याशियों को लेकर लगने लगीं अटकलें

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लोकसभा प्रत्याशियों  को लेकर लगने लगीं अटकलें
कांग्रेस से सिंधिया, अशोक  भाजपा से नरेन्द्र और  विवेक के नाम

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव अब मात्र दो माह दूर हैं। मार्च में 5 या 6 तारीख को इसके लिए आचार संहिता जारी हो सकती है। इन चुनावों में प्रमुख रूप से आमने-सामने आने वाले कांग्रेस और भाजपा ने इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी हाईकमान और वरिष्ठ नेता प्रत्याशियों के चयन को लेकर मंथन में जुट गए हैं। ऐसे में ग्वालियर लोकसभा सीट से ये पार्टियां किसे मैदान में उतार सकती हैं, इसे लेकर चर्चा और अटकलें शुरू हो गईं हैं। इस बार दोनों ही पार्टियां कोई भी चांस लेने के लिए तैयार नहीं है। और इसे प्रत्याशी का चयन करना चाहती हैं जो कि जीतने वाली हो।
पिछली बार यहां भाजपा प्रत्याशी के रूप में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने चुनाव जीता था। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अशोक सिंह ने दूसरी बार चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें पराजय झेलना पड़ी थी। लेकिन इस बार समीकरण बदले नजर आ रहे हैं। इस स्थिति में दोनों ही पार्टियां उम्मीदवार बदलने के मूड में दिखाई दे रही हैं। 
तोमर की रिपोर्ट खराब, फिर भी उम्मीदवारी की अटकलें
सूत्रों के अनुसार जहां तक भाजपा प्रत्याशी की बात है तो भले ही केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पिछली बार चुनाव जीत गए हों लेकिन उनका कार्यकाल पार्टी की ही नजर में अच्छा नहीं रहा। चार दिन पहले इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल के साथ हुई पार्टी नेताओं की बैठक में तोमर का रिपोर्ट कार्ड खराब बताया गया है। इतना ही नहीं स्थिति को भांपते हुए स्वयं तोमर भी ग्वालियर सीट से चुनाव नहीं लडऩा चाहते। इसी तरह पिछली बार भी उन्होंने मुरैना छोड़कर भाजपा का गढ़ माने जाने वाली ग्वालियर सीट को चुना था लेकिन इस बार यहां भी स्थितियां बदल गई हैं। फिर भी तोमर को ही प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें चल रही हैं। और यदि पार्टी उन्हें प्रत्याशी बनाती है तो मजबूरी में ही सही उन्हें मैदान में उतरना ही पड़ेगा।
शेजवलकर पीने लगे लोगों के साथ चाय
सूत्र बताते हैं कि महापौर विवेक शेजवलकर भी इस बार लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसी के चलते उन्होंने विधानसभा चुनाव निपटते ही शहर का भ्रमण करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उनके द्वारा शुरू किया गया आज की चाय आपके साथ कार्यक्रम समस्याओं का समाधान न होने के कारण भले ही फ्लॉप हो गया हो लेकिन फिर भी वह लोकसभा टिकट पाने के लिए लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि उनके और पार्टी के पक्ष में कुछ हवा बन सके।

सिंधिया हो सकते हैं कांग्रेस प्रत्याशी
कांग्रेस इस बार संभाग की चारों सीटों पर विजयश्री हासिल करने के प्रयास में है और इसके लिए उसने गोटियां फिट करना शुरू कर दी हैं। सूत्रों की मानें तो इसके लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ग्वालियर से चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके चलते उनकी धर्मपत्नी प्रियदर्शिनी राजे को कांग्रेस गुना-शिवपुरी की सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। ऐसा हुआ तो गुना और ग्वालियर की सीट पर कांग्रेस की जीत लगभग पक्की है। इसके बाद मुरैना और भिण्ड की सीटों पर भी ऐसे ही उम्मीदवारों की खोज की जा रही है जो कि हर हाल में चुनाव जीतने वाले हों। सूत्रों की मानें तो संभाग की चारों सीटों को जितवाने की जिम्मेदारी पार्टी सिंधिया को सौंपने वाली है। क्यों कि विधानसभा चुनाव में अंचल की 34 में से 26 सीटें जितवाकर सिंधिया ने यह दिखा दिया है कि यहां केवल उन्हीं का प्रभाव है।
सिंधिया नहीं तो अशोक सिंह
सूत्र बताते हैं कि यदि ग्वालियर से सिंधिया चुनाव नहीं लड़ते तो निश्चित है कि एक बार फिर अशोक सिंह को मौका मिल सकता है। लेकिन जीत-हार इस बात पर तय होगी कि उनके सामने बीजेपी का कौन सा उम्मीदवार मैदान में उतरता है। लेकिन यह तय है कि इस बार दोनों ही पार्टियां बाजी जीतने के लिए ही मैदान में उतरेंगीं।

 



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