समाज के लिए करें शिक्षा का व्यवहारिक उपयोग - राज्यपाल

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 समाज के लिए करें शिक्षा का व्यवहारिक उपयोग - राज्यपाल  

जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने किया संबोधित 

ग्वालियर 28 फरवरी 2019/ प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न संकायों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्वर्ण पदक विजेता छात्र-छात्राओं एवं उनके प्राध्यापकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज यहाँ जितने भी विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई है। वे इस देश के शिक्षित नागरिक हैं। शिक्षा का व्यवहारिक उपयोग देश और समाज के हित के लिए करें। वर्तमान में भू-मण्लीयकरण का दौर है। बदलते समय के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी परिवर्तन की आवश्यकता है। वर्तमान में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमें व्यवहारिक शिक्षा की ओर कदम बढ़ाना होंगे। शोध व अनुसंधान को व्यापकता प्रदान करनी होगी। 
    गुरूवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति  आनंदीबेन पटेल ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं से कहा कि यह एक पड़ाव है। जीवन में बहुत आगे जाना है। हमेशा सीखते रहने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि सोच-समझकर विषयों का चुनाव करें और इस प्रकार की योजना से अध्ययन करें, जिसका विकास में योगदान हो। उन्होंने कहा छात्र अध्ययन करके सरकार को बताएं कि किस प्रकार की योजनाएं बनानी चाहिए। विद्यार्थी सरकार को अपनी रिपोर्ट एवं फीडबैक दें। 
    राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय शिक्षा एवं कला के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखता है। विश्वविद्यालय द्वारा ऊर्जा संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों एवं शिक्षण के साथ-साथ सामाजिक कार्यों की उन्होंने सराहना की। विश्वविद्यालय के छात्र प्रदेश के साथ ही पूरे देश में अच्छा कार्य कर रहे हैं। 
    उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की ओर सबका ध्यान खींचते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोंण यह है कि यह 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करने वाला पेड़ है। हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोंण अपनाते हुए आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा प्रत्येक विश्वविद्यालय 50 - 50 वृक्ष लगाएं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वाली पद्मश्री से सम्मानित उत्तराखण्ड की महिला का उदाहरण देते हुए कहा कि एक अशिक्षित महिला ने दृढ़ निश्चय से पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना योगदान दिया है। देश के शिक्षित युवा जागरूक होकर आगे बढ़ें। न केवल किताबें पढ़कर और डिग्री हासिल करके शिक्षित कहलाना है बल्कि देश व समाज के लिए इस शिक्षा का उपयोग भी करना है। 
    राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा अशिक्षित होकर भी छोटी-छोटी बचतों से स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर होकर आगे बढ़ रही है। शिक्षित युवा होने के नाते यह लक्ष्य होना चाहिए कि हमें केवल सरकारी नौकरी ही नहीं प्राप्त करना है, बल्कि स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाना है। युवाओं का यह लक्ष्य हो कि हम स्वरोजगार स्थापित कर दूसरों को रोजगार देने वाले बनें। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने समारोह में अमर ज्योति संस्थान के दिव्यांग बच्चों को फल भेंट किए। 
लक्ष्‍य बनाएं और उसे पाने के लिए मेहनत करें - मंत्री जीतू पटवारी 
    प्रदेश के खेल, युवा कल्याण एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि युवा लक्ष्य बनाएं और उसे पाने के लिए खूब मेहनत करें और लक्ष्य की प्राप्ति करें। उन्होंने कहा कॉलेज में पढ़ाई का समय जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय है। समय के महत्व को समझते हुए आगे बढ़ें। यह भी जरूरी है कि शिक्षा का उपयोग समाज के लिए कैसे करना है। उन्होंने कहा यदि अभी दृढ़ निश्चय से आगे नहीं बढ़ोगे तो जीवन भर पछताना पड़ेगा। उन्होंने सभागार में उपस्थित युवाओं से कहा कि खुली आंखों से सपने देखो और सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करो। 
    उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ग्वालियर संगीत की नगरी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी ग्वालियर अच्छा काम कर रहा है। यहाँ स्थित एलएनआईपीई शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में देश-विदेश में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। महिलाओं की शिक्षा में भी ग्वालियर उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष ग्वालियर एवं चंबल संभाग के कॉलेजों के लिए 390 करोड़ की राशि दी जा रही है। सरकार उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है।  
    समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पद्मश्री से सम्मानित एवं अमर ज्योति संस्थान की संस्थापक डॉ. उमा तुली ने अपने उदबोधन में कहा कि शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षित नागरिक समाज के विकास में अपना विशेष योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा जीवाजी विश्वविद्यालय कुछ कोर्सेस के साथ शुरू हुआ और आज इसकी श्रृंखला बहुत लम्बी हो गई है। विश्वविद्यालय में कई पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राओं को शिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा परंतु आज हमें समेकित शिक्षा पर ध्यान देना होगा। शिक्षा के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण से ही युवाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का भी उल्लेख किया और कहा कि प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में इसका पालन अनिवार्य ही होना चाहिए। ताकि कमजोर व पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिल सके। 
विभिन्न संकायों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं मैडल मिले 
    दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं मैडल भी दिए गए, जिसमें श्वेता जैन, वर्षा भिलवार, आरती प्रजापति, श्रृष्टि उपाध्याय, अपूर्वा सिंह भदौरिया, मीनाक्षी कुमारी, सौम्या चौहान, मनमीत गौड़, कामिनी पाल, आकांक्षा श्रीवास्तव, मेघा त्रिपाठी, कृतिका शुक्ला, पूर्णिमा अग्रवाल, विपुल चौहान सहित अन्य विद्यार्थियों को राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने गोल्ड मैडल एवं उपाधि प्रदान की। इसके अलावा विभिन्न संकायों में पीएचडी करने वालों को भी उपाधि प्रदान की गई। जिसमें पंकज कुमार, मीनू गुप्ता, अभिषेक प्रताप सिंह, मधु गुप्ता, साधना सिंह, सीमा पाण्डेय, जय सिंह यादव, अजय सिंह सिकरवार सहित कई नाम शामिल हैं। 
    दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं, उनके अभिभावक उपस्थित थे। 
 



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