परिवारवाद की राजनीति को लेकर भाजपा में मचा बवाल

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   परिवारवाद की राजनीति को लेकर भाजपा  में मचा बवाल

भोपाल । कांग्रेस पर हमेशा वंशवाद और परिवारवाद का आरोप लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी के अंदर अब खुद परिवारवाद की राजनीति को लेकर बवाल मचा हुआ है ना केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के अनेक दिग्गज भाजपा नेता अपने पुत्रों को इस लोकसभा चुनाव मैं सियासत के प्लेटफार्म पर लांच करने के लिए दबाव बना रहे आखिर राजनीति में परिवारवाद का इतना विरोध क्यों जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन सकता है आईएएस का बेटा आईएएस सुनीता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता यह सवाल खुद भाजपा के नेता पार्टी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ अब सार्वजनिक तौर पर भी कहने लगे हैं मध्य प्रदेश के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पंडित गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कह दिया कि नेता का बेटा नेता नहीं बनेगा तो क्या भीख मांगेगा आखिर पिता की विरासत का हकदार बेटा ही तो होता है मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष पंडित गोपाल भार्गव अपने पुत्र अभिषेक भार्गव के लिए सागर लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं तो वहीं पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया भी दमोह लोकसभा सीट से अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया का नाम आगे बढ़ा रहे उधर विदिशा लोकसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा चल रही है तो वही बालाघाट लोकसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक गौरीशंकर बिसेन अपनी पुत्री मौसमी बिसेन के लिए टिकट मांग रहे हैं विधानसभा चुनाव में नेता पुत्रों की एक लंबी फेहरिस्त रही है इसमें विश्वास सारंग अशोक रोहाणी सुरेंद्र पटवा दीपक जोशी आदि शामिल है वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपनी टिकट के बदले अपनी पुत्रवधू कृष्णा गौर को विधानसभा का चुनाव  लड़ा कर विधायक बनवा दिया अब पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इस बात को लेकर खासा आक्रोश है कि क्या कार्यकर्ता सिर्फ  दरी कुर्सी उठाने और जिंदाबाद के नारे लगाने के लिए ही है माना कि नेता पुत्र नेता नहीं बनेगा तो कौन बनेगा लेकिन नेता पुत्र कार्यकर्ताओं पर एयर स्ट्राइक की तरह जो वर्षो की मेहनत और उम्मीदों पर अचानक हमला बोलकर कार्यकर्ताओं का मनोबल धराशाई कर देते है करदाताओं को कहना है कि नेता पुत्रों को चुनाव लड़ने से कोई नहीं रुकता लेकिन वे कम से कम राजनीति में सक्रिय तो रहे चुनाव के वक्त नेता पुत्रों की पैराशूट लैंडिंग से एतराज है पार्टी सूत्रों का कहना है कि;पूरे कार्यकाल के दौरान नेता पुत्रों की भूमिका पार्टी कार्यक्रमों में नहीं बल्कि सत्ता के क्रियाकलापों में सक्रिय रहती है लिहाजा उनके साथ जनाधार नहीं जोड़ पाता और कहीं ना कहीं इसका नुकसान कार्यकर्ताओं के साथ साथ पार्टी को भी भुगतना पड़ता है बहरहाल सियासत में चर्चाएं ना हो बवाल ना मचे और विरोध ना हो तो सियासत किस काम की लिहाजा सीना ठोक कर दिग्गज नेता अपने पुत्रों की लांचिंग की तैयारी कर रहे आखिर क्यों न करें अपनी सियासत की सल्तनत के साथ साथ धन संपदा की विरासत की सुरक्षा भी तो करनी है इसलिए अपनी तो सलाह है कि नेतागिरी करना है तो नेता के घर जन्म लो वरना पार्टी का झंडा झंडा उठाकर भैया जिंदाबाद के नारे लगाकर जो कुछ मिले उसमें संतोष रखो।



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