क्षमा-भाव ठंडे लोहे के सामन और क्रोध गर्म लोहे के समान होता है -शास्त्री
मंगल कलश स्थापन के साथ दसलक्षण महामंडल विधान महोत्सव शुरू
महिलाओ व बच्चो ने नृत्य किया, जायानुष्ठान इंद्रा-इंद्राणी ने किये
ग्वालियर-क्रोध जीवन के लिए आग है अंदरूपी जहर है। क्रोध माचिस की तीली की तरह है जो स्वयं पहले जलती है बाद में दूसरों का जलाती। क्रोध की आग में सुलगत हुआ आदमी तन-मन और ज्ञान की शक्ति नष्ट कर लेता है इसलिए क्रोधी आदमी रोगी और कमजोर होते है। जबकिं क्षमा करने वाले लोग ज्ञानी और ताकतवार होते है। क्षमा-भाव ठंडे लोहे के सामन और क्रोध गर्म लोहे के समान है। ठंडा लोहा हमेषा गर्म लोहे को पीटता है, गर्म लोहा कमजोर होता है। गर्म पानी अग्नि के संयोग से होता है। ठंडा पानी सभी को अच्छा और सेन्म लगता हैं। अहंकार और क्रोध संगे भाई है। यह विचार पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन उतम क्षमा धर्म पर विधानचार्य पडित वाणी भूषण पं श्री नवीन जी शास्त्री, सांगानेर ने आज मंगलवार को दाना ओली स्थित वरैया जैन भवन मंदिर मे आयोजित दसलक्षण महामंडल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र जैन, अध्यक्ष हीरालाल वरैया, सचिव मुकेश जैन, राजेन्द्र जैन, कमल जैन, सुनिला लोहिया, सुरेन्द्र जैन, शेलेन्द्र जैन, मुकेश जैन एवं प्रवक्ता सचिन जैन विशेष रूप से उपस्थित थे।
*दसलक्षण विधान मे भगवान पार्श्वनाथ अभिषेक किया
विधानचार्य पडित वाणी भूषण पं श्री नवीन जी शास्त्री, सांगानेर ने मंत्र उच्चारण के साथ सौधर्म इंद्र राजेश जैन सहित इंदो ने जयघोष के साथ भगवान पार्श्वनाथ का शुद्ध जल से अभिशेक किया। शांन्तिधार विनोद कुमार जैन घटीगांव परिवार ने कि।
*मंगल स्थापन के साथ उत्तम क्षमा की पूजा कर विधान में चढ़ाए अर्घ्य
विधानचार्य पडित वाणी भूषण पं श्री नवीन जी शास्त्री, सांगानेर ने मुख्य कलश मंडप पर श्रीमती हेमा राजेश जैन सौधर्म इंद्र ने मंगल कलश की स्थापना की। जिनवाणी सुभाष जैन ने दीप प्रज्वलित राजेन्द्र जैन ने किया! दसलक्षण महामंडल विधान में प्रथम उत्तम क्षमा की श्रध्दाभाव के साथ पूजा शुरू की गई। जिसमें इंद्रा-इंद्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर पूजा अर्चना के द्वारा श्री जिनेन्द्र भगवान को दसलक्षण विधान में उत्तम क्षमा के महाअर्घ्य समर्पित किए।











