विनम्रता दूध और मधुरता जीवन में शरबत का काम करती है-मुनिश्री
ग्वालियर/ दतिया सोनागिर प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए व्यवहार में विनम्रता, बोली में मधुरता बहुत जरूरी है ।विनम्रता दूध का काम करती है और मधुरता जीवन में शरबत का काम करती है ।पके हुए फल की तीन पहचान होती है वह नरम हो जाता है, स्वाद में मीठा हो जाता है ,उसका रंग बदल जाता है। उसी प्रकार परिपक्व इंसान की 3 पहचान होती है नम्रता, वाणी में मिठास, आत्मविश्वास। जिनके पास यह तीन तत्व होते हैं वह जीवन में नित नए सफलता के आयाम प्राप्त करते हैं। लोगों के दिलों में स्थान बनाने के लिए चाहिए की आप कड़वी बात का मिठास से जवाब दे। क्रोध आने पर चुप रहे।अपराधी को दंड देते समय भी मानवी कोमलता बनाकर रखें। ऐसा करने से दुनिया की नजरों मेंआपका कद बहुत ऊंचा हो जाएगा । यह विचार क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह मैं रविवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही!
मुनि श्री ने आगे कहा कि हाथ बांधकर नहीं हाथ जोड़कर जीना सीखें ।झुकता वही है जिसमें जान होती है अकड़ तो मुर्दे की पहचान है ।अधिक फलों वाले पेड़ झुक जाते हैं भूसे वाले पौधे अकड़ के खड़े रहते हैं। हनुमान राम के चरणों में झुक गए तो आज सारी दुनिया में भगवान मानकर पूछे जाते हैं। झुक कर जीना अमरता की पहचान है और अकड़ कर जीना जीते जी मर जाने का रास्ता है ।
मुनि श्री ने आगे कहा कि मित्रों को नमस्कार करें बड़ों के चरण स्पर्श करें परमात्मा और गुरुजनों की पूजा करें। अभिवादन करने वाले को अभिवादन मिलता है प्रणाम करने वाले को आशीर्वाद मिलता है ।रावण यदि अहंकार का प्रतीक है तो राम नम्रता की मूर्ति है। जीवन में यदि लघुता और नम्रता रखेंगे तो एक दिन प्रभुता जरूर मिल जाएगी ।क्योंकि लघुता से ही तो प्रभुता मिलती है ।
मुनि श्री ने आगे कहा कि जिनके पास ज्ञान कम अहंकार ज्यादा होता है वह सिक्के की तरह आवाज अधिक करते हैं मगर जिनके पास ज्ञान अधिक होता है वह 500 के नोट की तरह शांत रहते हैं जमीन पर ₹1 का सिक्का आवाज करता है मगर हजार का नोट चुपचाप नीचे गिर जाता है पता भी नहीं चलता ।अपनी औकात का शोर मचाने का काम कम कीमत वाले लोग ही किया करते हैं। सीधी लकड़ी पर ध्वजा लहराया जाता है मगर टेढ़ी-मेढ़ी लकड़ियों को मात्र चूल्हे में चलाया जाता है। कहीं आप अहंकार के कारण अपनी जिंदगी को चिंताओं के चूल्हे में तो नहीं चला रहे हैं? इस बात पर भी हमें ध्यान देना चाहिए बड़ों के सामने बड़ा बनने से तकरार बढ़ती है मगर छोटा बनकर जीने से सभी का प्यार मिलता है जिंदगी का अगर आनंद उठाना है तो छोटा बनकर जियो सभी जगह तुम्हें प्यार और मनुहार मिलेगी।
मुनि श्री ने आगे कहा कि अहंकार की कार में सवार होने वाला नरक के द्वार पहुंच जाता है मगर विनम्रता के विमान में बैठकर जाने वाला परमात्मा के द्वार तक पहुंच जाता है ।कंस रावण लादेन औरंगजेब सिकंदर अहंकार के कारण कीड़े की मौत मरे ।राम महावीर बुद्ध विवेकानंद विनम्रता के कारण आज भी विश्व के दिलों में जिंदा है। कोरोना वायरस की शांति के लिए अनुष्ठान किया
विनम्रता दूध और मधुरता जीवन में शरबत का काम करती है-मुनिश्री
स्लाइडर ,सिटी लाइव,धर्म, Jul 19 2020
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