कामना और वासना के चक्कर में पड़कर आज आदमी अंधा हो चुका है-मुनिश्री

स्लाइडर ,सिटी लाइव,धर्म,   
img

कामना और वासना के  चक्कर में पड़कर आज आदमी अंधा हो चुका है-मुनिश्री*
 
 ग्वालियर/दतिया सोनागिर* आत्मा में रमण करने का नाम ब्रह्मचर्य है भोगो  के दलदल से बाहर निकल कर कमल की तरह जिंदगी जीने का नाम ब्रह्मचर्य है। कामना और वासना के  चक्कर में पड़कर आज आदमी अंधा हो चुका है। अपनी एनर्जी और शक्ति को केवल वासनाओं की पूर्ति में लगा रहा है। अगर अंदर की शक्ति का सही उपयोग किया जाए तो निर्वाण की प्राप्ति की जा सकती है! गलत उपयोग हो करने पर संपूर्ण जीवन को दुख और दरिद्रता के अंधकार में धकेला जा सकता है। ब्रह्मचर्य व्रत के पालन करने से आत्म शक्ति जागृत होती है चेहरे पर तेज बढ़ता है ज्ञानी और तपस्वीयों ने कहा है एक बार के चुंबन करने से 100000 जीवो की हत्या होती है। एक बार संभोग करने से 8000000 जीवो की हत्या होती है। जीवन भर में भोग और विलासता में डूबा व्यक्ति 6 अरब 68 करोड़ जीवो की हत्या कर देता है। *यह बात मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने सोनागिर स्थित अमोल वाली धर्मशाला आचार्यश्री पुष्पदंत सभागृह में पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्चार धर्म संबोधित कर कही!*
 
मुनि श्री ने आगे कहा कि राम, रावण का सृजन हम स्वयं ही करते हैं। माता पिता कर्तव्य है कि आज की पीढ़ी को  पाश्चात्य संस्कृति की भोग बादिता से निकालकर पूर्व की संस्कृति और संस्कारों का बीजारोपण करना। आज सब जगह वासनाओं का बाजार लगा हुआ है बलात्कार और अनैतिक संबंध के राक्षस ने चारों ओर से जकड़ लिया है। जिस कारण परिवार समाज देश गर्त में जा रहा है। मुनि श्री के सानिध्य में संध्याकालीन समय में सामूहिक क्षमावाणी एवं महा श्रावक प्रतिक्रमण का आयोजन किया गया! जिसमें मुनिश्री ने आत्मा  जागरण करा कर जीवन में लगे हुए पापों से मुक्ति का मार्ग बताया। संगीतमय मेडिटेशन हुआ मुनिश्री ने क्षमावाणी के अवसर पर कहा कि आग को ठंडा करने के लिए पेट्रोल नहीं जल चाहिए मन को शांति प्रदान करने के लिए क्रोध की ज्वाला  नहीं क्षमा का शीतल जल चाहिए। क्षमा मांगना और करना वीरों का आभूषण है। क्षमा मांगने में छोटा और बड़ा नहीं होता है ।अपितु  दोनों ही बड़े होते हैं मांगने वाला भी और करने वाला भी।  मगर आज क्षमावाणी का मतलब बदल गया है क्योंकि हम उन लोगों से क्षमा मांगते हैं जिनसे हमारी कहासुनी नहीं हुई है। जबकि क्षमा उनसे मांगना चाहिए जिनसे हमारी बोलचाल हुई है महावीर का भक्त वही कहलाता है जो महावीर के चित्र को जीवन में अपनाता है।अपितु वह होता है जो  महावीर का चित्र के साथ चारित्र भी अपनाते हैं  । एक बार अगर महावीर का चरित्र जीवन में उतर जाए तो जिस प्रकार महावीर के क्षमा भाव को देखकर गाय और शेर एक घाट पर पानी पीने लगे, सांप और नेवला एक साथ बैठ गए। तो दो समाज है और दो  संत संघ साथ में क्यों नहीं बैठ सकते है।  आज पापियों के अंदर कम बैर का भाव है कथाकथित धर्मआत्माओ के अंदर अधिक है। पर्यूषण पर्व में खाने का तो त्याग कर देते हैं मगर कषायो  का त्याग नहीं करते हैं।  कषायो  का त्याग करना ही सच्ची पर्यूषण पर्व की आराधना है।  
 
*पर्यूषण पर्व सर्व दोष प्रायश्चित विधान कर 12 किलो का निर्वाण मोदक चढ़ाया गया*
चातुर्मास समिति के प्रचार संयोजक सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज पावन सानिध्य और मार्गदर्शन में पर्व राज पर्यूषण पर्व के अंतिम दिवस प्रातः काल बेला में भगवान जिनेंद्र का अभिषेक एवं सोलहकारण, दशलक्षण, देव शास्त्र गुरु, रत्नात्रय  की पूजन की गई। तत्पश्चात दोपहर में सर्व दोष प्रायश्चित विधान का आयोजन किया गया। जिसमें शांति धारा करने का सौभाग्य श्री विधान के सौधर्म इंद्र नरेश चौधरी परिवार डबरा। आचार्य श्री धर्म भूषण महाराज एवं मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज के पादप्रक्षालन, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्री कोमल चन्द्र जैन डाबर ने प्राप्त किया! भगवान वासुपूज्य  जी का मोक्ष कल्याणक मनाया गया! संगीत में नृत्य करते हुए पूजन अर्चन एवं सवा 12 किलो का निर्वाण मोदक भक्ति भाव पूर्वक समर्पण करने का सौभाग्य श्री श्रेयाश कुमार आशीष जैन डवरा  ने प्राप्त किया
 
*मुनिश्री ने अपने गुरु को नमन कर क्षमा याचना की, 108 दीपो से आरती हुई*
 
चातुर्मास प्रचार संयोजक सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने अपने गुरुवर गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज  जो देवास जिला स्थित पुष्पगिरी तीर्थ पर विराजमान है उनसे क्षमा याचना की तथा अपने समस्त जेष्ठ और लघु गुरु भ्राताओ  से परोक्ष रूप से क्षमा मांगी एवं आचार्य श्री धर्म भूषण जी महाराज एवं सोनागिर क्षेत्र पर विराजमान सभी आचार्य, मुनि ,उपाध्याय ,ऐलक, क्षुल्लक  आर्यिका  माताजी से विशाल हृदय पूर्वक कोमल मन में आघात लगा हो उस के लिए क्षमा याचना की।  इस दृश्य को देखकर संपूर्ण भक्त मंडल  भाव विभोर होकर  आंखों से टप टप आंसू टपकने लगे। उपस्थित सभी जन समुदाय ने विगत 1 वर्षों में आपस में बोलचाल से किसी का दिल दुखाया  हो तो एक दूसरे के उत्तम क्षमा कहकर क्षमा याचना की।  तत्पश्चात संगीतमय 108 दीपों द्वारा भव्य मंगल आरती की गई।
 
 
 


सोशल मीडिया