राग और द्वेष जीतने वाला परमेश्वर और परमात्मा कहलाता है-: मुनिश्री
ग्वालियर/दतिया सोनागिर :-राग और द्वेष जीतने वाला परमेश्वर और परमात्मा कहलाता है। जो सर्व गुणों से युक्त हो वह ईश्वर है। गुरुओं की वाणी हमें मोक्ष मार्ग दिखाती है। जैन धर्म और जैन संस्कृति जीवन जीने की कला सिखलाती है। धर्म के सिद्धांत एवं छोटे-छोटे नियम से हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। धर्म और संस्कार के लिए समर्पित होना ही पड़ेगा। यह विचार क्रांतिकारी मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने शनिवार को सोनागिर स्थित आचार्यश्री पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही!
मुनिश्री ने कहाकि पाप और पारा कभी पचता नहीं है। पाप व्यक्ति के पीछे-पीछे चलता है। मनुष्य सोचता है पाप मैं अकेले में कर रहा हूं, मुझे कोई नहीं देख रहा है। लेकिन उसकी यह सोच गलत है। उसे खुद और खुदा देख ही रहा है। पाप कितना ही गुप्त हो, पर प्रकट तो हो ही जाता है। मनुष्य केवल मांस, मज्जा और हड्डी का पुतला नहीं वह अनंत की संभावना है। मनुष्य के भीतर परमात्मा बनने की संभावना ही नहीं सशक्त सामर्थ्य भी है। मगर इसके लिए उसे स्वयं की आत्म शक्ति की पहचान होनी चाहिये।
*मनुष्य इंसानियत का जीवन जीये तो इतना ऊपर उठ सकता है*
मुनिश्री ने कहा मनुष्य इंसानियत का जीवन जीये तो इतना ऊपर उठ सकता है, चांद-तारे भी नीचे रह जाते हैं, उसकी इस उन्नति को देखकर देवता भी उससे ईष्र्या करने लगते हैं। वह स्वयं की सत्ता को ही नहीं पहचान पाता है और विलास पूर्ण जीवन जीता है तो इतने नीचे गिर जाता है, नरक भी पीछे रह जाता है। उसके इस पतन को देखकर पशु भी शर्मा जाते हैं। इस देह से हम सिद्धालय के द्वार भी खटखटा सकते हैं, इसी देह से नरक के द्वार को भी दस्तक दे सकते हैं। निर्णय स्वयं का है, मुझे परमेश्वर बनना है या पशु।
*मुनिश्री के सानिध्य में जैन शिक्षकों का सम्मान समारोह आज*
चातुर्मास समिति के प्रचार संयोजक सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि क्रांतिवीर मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज के मार्गदर्शन एवं पावन सानिध्य में ग्वालियर सहित भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, अशोक नगर, गुना के समस्त जैन टीचरों का सम्मान समारोह का आयोजन 13 सितंबर को दोपहर 1:00 बजे शुरू होगा! समारोह का प्रारंभ नृत्य मंगलाचरण द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्वलन,पादप्रक्षालन, शास्त्र भेंट, सभी टीचरों का सम्मान एवं पांच टीचरों द्वारा समाज के प्रति टीचरों के कर्तव्य विषय पर उद्बोधन, मुनि श्री का टीचरों को विशेष मार्गदर्शन-प्रवचन एवं 108 दीपों द्वारा महाआरती का आदि कार्यक्रम होंगे।संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन आचार्य पुष्पदंत सागर चातुर्मास समिति भारत एवं दिगंबर जैन जागरण युवा संघ रजिस्टर मुंबई द्वारा किया जाएगा। समारोह में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर आदि का विशेष ध्यान रखा जाएगा।











