कर्म को भक्ति बनाना ही भगवान की प्राप्ति है: विष्णु उपाध्याय
ग्वालियर। भागवताचार्य पंडित विष्णुदत्त उपाध्याय ने कहा है कि जीवन में संस्कारों का होना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि बालक की प्रथम गुरू उसकी मां होती है। पंडित विष्णुदत्त उपाध्याय गत २८ सितंबर से हनुमान मंदिर परिसर पार्क बलवंत नगर में चल रहीं श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ एवं कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में संगीत मयी कथा को व्यास गादी से श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
बलवंत नगर हनुमान मंदिर परिसर पार्क में पारीक्षत नृपति सिंह राजपूत श्रीमती उमा देवी ने व्यास गादी की पूजा अर्चना की।
पंडित विष्णु उपाध्याय ने कहा कि व्यक्ति में यदि संस्कार का चक्र प्रबल है तो भगवत की प्राप्ति जरूर होती है। उन्होंने बालक धु्रव की कथा के माध्यम से भक्त जनों को उक्त ज्ञान दिया।
पंडित विष्णु उपाध्याय ने कहा कि ब्राह्मण को दिया हुआ दान ब्रह्म से साक्षात्कार करवाता है। विष्णु उपाध्याय ने राजा बलि और वामन भगवान के चरित्र की व्याख्या करते हुए उक्त संदेश दिया। पंडित विष्णु उपाध्याय ने कहा कि ज्ञान किसी उम्र का मोहताज नहीं होता है। विष्णु उपाध्याय ने कहा कि भक्ति का प्रादुर्भाव बाल्यकाल से होना अनिवार्य है क्योंकि चंदन के वृक्ष से सर्पं लटके रहते हैं लेकिन चंदन अपनी सुगंध को बरकरार रखता है। उन्होंने बालक प्रहलाद का उदाहरण देते हुए बताया कि प्रहलाद महाराज दैत्य वंश में उत्पन्न हुए उसकेे बाद भी वह भगवान की भक्ति को प्रबलता से करते थे, जैसे सर्प से लिपटा हुआ चंदन का वृक्ष । पंडित विष्णुदत्त उपाध्याय ने कहा कि विद्वान होना अलग अलग बात है और धार्मिक होना अलग। उन्होंने कहा कि विद्वान का विद्वत्ता तभी सार्थक है जब उसमें धर्म का संपुट जुडा हो।
श्रीमद भागवत कथा में आज शुक्रवार को समुद्र मंथन , राम जन्म उत्सव एवं श्रीकृष्ण जन्म उत्सव कथा होगी।












