व्यापारियों के बंद से नहीं खुले दुकानों के शटर
ग्वालियर। केन्द्र सरकार द्वारा एफडीआई को सौ प्रतिशत मंजूरी दिए जाने के विरोध में आज कैट के वैनर तले देश के विभिन्न व्यापारिक संगठनों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान पर शहर के बाजार पूरी तरह बंद हैं। वहीं दवा विक्रेताओं की ओर से भी दिए गए समर्थन के कारण शहर के मेडीकल स्टोर्स के भी ताले नहीं खुले। लेकिन गली मोहल्लों के साथ ही कुछ अन्य स्थानों पर
उल्लेखनीय है कि सरकार ने व्यापार व्यवसाय में एफडीआई(विदेशी निवेश की सीमा) शत-प्रतिशत कर दी है जिससे लगभग सभी प्रकार का व्यापार, व्यवसाय इसके दायरे में आ गया है। इससे पूरा व्यापारी वर्ग नाराज है। इसी को लेकर आज बंद का एलान किया गया था। हालांकि लोकल ट्रांसपोर्ट और शिक्षण संस्थाओं के साथ ही कुछ अन्य आवश्यक सेवाओं को इससे मुक्त रखा गया है। लेकिन दवा विक्रेताओं के इसमें शामिल होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इसके साथ ही रोजमर्रा की चीजें खरीदने में भी लोगों को दिक्कतें हो रही है।
आम दिनों की तरह चल रहे हैं यात्री वाहन
आज प्रस्तावित बंद से यात्री वाहनों को मुक्त रखा गया है जिससे सड़कों पर ऑटो-टैम्पो और अन्य यात्री वाहन सामान्य रूप से चल रहे हैं। इससे लोगों को एक से दूसरी जगह जाने में परेशानी नहीं उठाना पड़ रही।
दुकानें नहीं खुलने से शांति पूर्ण है बंद
यूं तो बंद का आयोजन शाम 4 बजे तक ही है। चूंकि यह बंद व्यापारियों से सम्बन्धित है। इसके चलते बाजार और दुकानें पूरी तरह खुली हुई हैं। जिससे खबर लिखे जाने तक बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण है।
पुलिस को नहीं करना पड़ रही मशक्कत
जिले में इस समय धारा 144 लागू है और इस दौरान बंद के आयोजन को प्रशासन द्वारा अनुमति दिया जाना एक गंभीर बात है। इसके चलते पुलिस और प्रशासन पूरी सतर्कता बरता रहा है। हालांकि शांति पूर्ण माहौल को देखते हुए पुलिस को अधिक मशक्कत नहीं करना पड़ रही। इसके चलते कुछ देर दिखाई देने के बाद पुलिसकर्मी इधर-उधर हो गए और कहीं-कहीं ही दिखाई दिए।
रोज कमा कर खाने वाले परेशान
इस बंद से यूं तो आमजन को अपनी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए परेशान होना पड़ रहा है, लेकिन सबसे अधिक परेशान वह मजदूर वर्ग हो रहा है जिसके दिनभर की कमाई के बाद शाम को भोजन बन पाता है। इनमें मुख्य रूप से दालबाजार सहित अन्य ऐसे ही बाजारों में हम्माली करने वाले मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके साथ ही यहां बैलगाड़ी व अन्य साधनों से माल ढुलाई करने वाले भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और उन्हें यही चिंता है कि शाम को उनके यहां भोजन का इतजाम केसे होगा।
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