करवा चौथ 27 को,पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत

स्लाइडर ,सिटी लाइव,धर्म,   
img

करवा चौथ 27 को------ 
पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत 

ग्वालियर। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर 27 अक्टूबर को पूरे देश के साथ शहर में भी करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सलामती के लिए व्रत रखेंगी। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।  इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखेंगी और रात को चांद देखकर उसे अघ्र्य देने के बाद व्रत खोलेंगी।
करवा चौथ व्रत के लिए बाजारों में महिलाओं ने खरीदारी शुरू कर दी है। मिट्टी के साथ ही शक्कर के करवे भी बाजार में मिल रहे हैं। इसके साथ ही श्रंगार सामग्री की भी महिलाएं खरीदारी कर रही हैं। उधर ब्यूटी पार्लर पर पहले से ही बुकिंग हो गई है। लगभग सभी पार्लरों पर इस दिन विवाहिताओं की भीड़ दिखाई देगी। इसके साथ ही मेहंदी लगाने वाले भी महाराजबाड़ा पर आ गए हैं।

ये है पूजा का मुहूर्त
इस बार करवा चौथ का मुहूर्त शाम 5.40 से 6.47 तक है। अगर समय के लिहाज से देखें तो इसकी कुल अवधि 1 घंटे 7 मिनट है। क्योंकि चांद को अघ्र्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस बार चंद्रोदय शाम 7.55 पर होगा। 
 उत्तर भारत में करवा चौथ के व्रत को ज्यादातर महिलाएं करती हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसकी काफी मान्यता है। यूपी और राजस्थान में इसी दिन गौर पूजा भी की जाती है।
करवा चौथ व्रत कथा
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अघ्र्य देकर ही खा सकती है। सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर करवा उसे अघ्र्य देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है।
उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर चौथ का दिन आता है, तो वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागिन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नये जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इसी कथा को कुछ अलग तरह से सभी व्रत करने वाली महिलाएं पढ़ती और सुनती हैं।



सोशल मीडिया