स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च

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स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च 
सड़कों में गड्ढे, पार्कों की दुर्दशा, सफाई व्यवस्था ध्वस्त

ग्वालियर। स्मार्ट सिटी के नाम पर नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन धरातल पर कोई भी काम दिखाई नहीं दे रहा। यहां तक कि आज भी गड्ढों में सड़क ढूंढना पड़ती है और पार्कों में हरियाली। 
शहर को स्मार्ट सिटी की श्रेणी में भले ही शामिल कर लिया गया हो, लेकिन इसके बाद से आज तक कोई भी ऐसा काम दिखाई नहीं दिया जिससे यह कहा जा सके कि इस ओर निगम ने एक कदम भी आगे बढ़ाया हो। सड़कों की हालत पहले से भी अधिक बदतर हो गई है तो जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। उधर पार्कों की सुन्दरता पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दिया गया लेकिन उनमें सुधार की जगह स्थिति और भी बिगड़ गई है।
मुख्य मार्गों पर चलने में भी परेशानी
स्मार्ट सिटी की प्रमुख शर्त बेहतर परिवहन और यातायात है लेकिन इसी की हालत शहर में सबसे अधिक खराब है। गली, मोहल्लों की बात तो दूर प्रमुख और व्यस्त मार्गों पर भी सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे और दरारे हैं जिससे वाहन तो दूर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही यातायात पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। जहां देखो दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार लोग इसमें सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं करते और सबकुछ भगवान भरोसे चलता रहता है।
नहीं सुधरी पार्कों की दशा
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम ने शहर के कुछ पार्कों को अधिक आकर्षक और सुन्दर बनाने के लिए चिन्हित किया था। इन पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया गया लेकिन फिर भी जो रुपरेखा बताई गई थी उसके अनुसार काम नहीं हुआ। इसमें शामिल नेहरू और लेडीज पार्क में काम शुरू तो हुआ लेकिन समय सीमा में पूरा नहीं हो सका। ऐसी ही स्थिति प्रोजेक्ट में शामिल अन्य पार्कों की भी है। लेकिन जो पार्क इसमें शामिल नहीं हैं उनकी स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। 
सफाई व्यवस्था ध्वस्त
निगम शहर में  बेहतर सफाई व्यवस्था का दावा करती है लेकिन उसकी पोल जगह-जगह लगे गंदगी और कचरे के ढेर खोल रहे हैं। स्थिति यह है कि गली-मोहल्लों से लेकर व्यस्त बाजारों में भी गंदगी पसरी हुई है। लेकिन निगम का यह कहना है कि वह रात को भी सफाई करा रही है जबकि सुबह भी कई स्थान ऐसे हैं जहां कि झाडू तक नहीं लगती। 



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