14 व 15 को दो दिन मनेगी मकर संक्राति ,बाजार और मंदिरों में जोरदार तैयारियां

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14 व 15 को दो दिन मनेगी मकर संक्राति
घर, बाजार और मंदिरों में जोरदार तैयारियां

ग्वालियर। मकर संक्राति महापर्व इस बार दो दिन 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां पूरे देश के साथ ही शहर में भी जोरशोर से चल रही हैं। एक ओर जहां घरों में तिल के लड्डू व अन्य सामान बनना शुरू हो गया है तो उधर बाजारों में गजक और लड्डुओं की बहार सी आ गई है। वहीं मंदिरों में भी इसके लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं।                                                          भारत विविधताओं का देश है। विविध संस्कृतियों, धर्म और भाषा के लोग यहां रहते हैं और यही इस देश की खासियत है। साल भर हर दूसरे महीने यहां कोई ना कोई त्योहार आता है और पूरे में देश में फेस्टिव माहौल बन  जाता है। फिर चाहे दिवाली हो या दशहरा, चाहे गणेश चतुर्थी या ईद हर मौके पर लोग एक साथ सभी भेदभाव भूलकर उत्साह से खुशियां मनाते हैं। 
कहीं तिल के लड्डुओं की बहार तो कहीं उड़ेगीं पतंग
मकर संक्रांति हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है।  इसकी खासियत है कि देश के अलग-अलग राज्यों में इस दिन को अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। कहीं पर तिल के लड्डुओं के साथ तो कहीं पर पतंगों के साथ इसे सेलिब्रेट किया जाता है। कई राज्यों में परंपरा है कि इस दिन सुबह उठते ही घर के बड़ों और धरती माता का आशीर्वाद लिया जाता है। मकर संक्राति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी वजह से इसे मकर संक्राति के नाम से जाना जाता है। 
14 को देर रात होगा राशि में परिवर्तन 
इस साल राशि में ये परिवर्तन 14 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए 15 जनवरी को मकर संक्राति मनाई जाएगी। यूं तो मकर संक्राति  लगभग हर साल 14 जनवरी को आती है। लेकिन इस बार यह 15 जनवरी को पड़ रही है। इसी कारण प्रयागराज में हो रहा कुंभ भी 15 जनवरी से शुरू हो रहा है, साथ ही पहला स्नान भी 14 नहीं बल्कि 15 जनवरी को होगा। राशि बदलने के साथ ही मकर संक्राति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। वहीं, मकर संक्राति के दिन से ही खरमास  की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्राति में सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण तक का सफर महत्व रखता है। मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण काल में ही शुभ कार्य किए जाते हैं। सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में रहता है तब इसे उत्तरायण कहते हैं। वहीं, जब सूर्य बाकी राशियों सिंह, कन्या, कर्क, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब इसे दक्षिणायन कहते हैं।
दान-पुण्य के साथ होगी विशेष पूजा
मकर संक्राति पर घरों के साथ ही मंदिरों पर विशेष पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किया जाएगा। शहर के विभिन्न मंदिरों जिनमें अचलेश्वर महादेव, राम मंदिर, सनातन धर्म मंदिर सहित अन्य मंदिरों में इसके लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
बाजारों में भी रौनक
संक्राति महापर्व अब मात्र दो दिन दूर है। इसके लिए घरों और मंदिरों के साथ ही बाजारों में भी रौनक दिखाई देने लगी है। इस पर्व पर तिल से बने पकवानों का विशेष महत्व है। इसके चलते बाजारों में भी गजक, तिल के लड्डू की दुकानों पर रौनक दिखाई दे रही है। 
 मकर संक्राति पर क्या हैं दान के नियम        
सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को शाम को प्रवेश कर रहा है। सूर्योदय के अनुसार सूर्य 15 जनवरी को प्रात: मकर राशि में होंगे। उदया तिथि के अनुसार मकर संक्राति 15 को ही मनाना अच्छा होगा। हालांकि पुण्यकाल 14 जनवरी शाम को शुरू हो जाएगा। स्नान, 14 तारीख को शाम को भी किया जा सकता है और 15 को दिन भर स्नान और दान किया जा सकता है।
इस बार संक्राति पर ग्रहों का क्या विशेष संयोग होगा
इस बार की मकर संक्रांति पर शुक्र और बृहस्पति का सम्बन्ध होगा। साथ ही चन्द्रमा और सूर्य का केंद्रीय सम्बन्ध भी होगा,शनि भी बृहस्पति की राशि में विद्यमान रहेंगे,अगर इस दिन स्नान, दान और ध्यान किया जाए तो विशेष लाभ हो सकता है। इस बार अगर विशेष प्रयोग किए जाएं तो कुंडली के दुर्योगों से निजात मिल सकती है।  
सामान्य रूप से मकर संक्राति पर क्या करें
 प्रात:काल स्नान करें, सूर्य को अघ्र्य दें.श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें,नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें, भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं, भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें.  
 दान के नियम और लाभ
मकर संक्राति पर किया हुआ दान अक्षय फलदायी होता है,प्रात:काल स्नान करके, सूर्य को जल दें,फिर पूजा उपासना करें, इसके बाद अन्न का, घी का, और वस्त्र का दान करें, चावल, दाल, सब्जी, नमक और घी यानि खिचड़ी का दान सर्वोत्तम होता है, इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है।



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