बारिश और शीतलहर ने बढ़ाई ठंड
कड़ाके की सर्दी से जनजीवन अस्तव्यस्त
ग्वालियर। पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ ही बुधवार को हुई बारिश और इसके बाद तेज गति से चलने वाली शीतलहर से एक बार फिर कड़ाके की सर्दी लौट आई है। जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो गया है। वहीं ओले गिरने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरं दिखाई देने लगी हैं।
यूं तो मंगलवार से ही आसमान पर बादलों का डेरा बना हुआ था लेकिन बारिश नहीं हुई थी। वहीं बुधवार को सुबह हुई रिमझिम के बाद शाम को झमाझम बारिश के साथ पड़े ओलों से मौसम एक दम बदल गया है। गुरुवार को सुबह तेज गति से चल रही शीतलहर से शहरवासी कड़ाके की सर्दी से ठिठुर रहे हैं।
आसमान पर बादल, सूरज के साथ लुकाछिपी
बुधवार शाम को शुरू हुई बारिश का सिलसिला देर रात तक रुक-रुक जारी रहा। वहीं गुरुवार को भी सुबह से आसमान पर बादल छाए हुए हैं जो कि इस बात की ओर इशारा करते दिखाई दे रहे हैं कि कभी भी फिर से बारिश हो सकती है। हालांकि इस बीच में सूरज भी बादलों की ओट से बाहर निकल आता है लेकिन लोगों के लिए यह राहत क्षणिक ही होती है।
स्कूली बच्चों को बढ़ी परेशानी
मौसम के बदले हुए मिजाज के कारण सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को उठाना पड़ रही है। बुधवार को सुबह जहां रिमझिम बारिश के बीच उन्हें भीगते ओर ठिठुरते हुए स्कूल जाना पड़ा था वहीं आज गुरुवार को शीतलहर के कारण कड़ाके की सर्दी ने उन्हेें परेशानी में डाल दिया। इसके साथ ही उनके अभिभावकों को भी सुबह जल्दी उठकर उन्हें इसी सर्दी में उन्हें वाहनों और स्कूलों तक छोडऩे के लिए जाना पड़ा।
सड़कों पर नहीं दिखी चहलपहल
शीतलहर और कड़ाके की सर्दी ने लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया है। इसके चलते गुरुवार की सुबह सड़कों पर चहल पहल दिखाई नहीं दी। इस दौरान वही लोग घरों से निकले जिन्हें कि कोई जरूरी काम था। चूंकि आज अवकाश का दिन नहीं था इसलिए लोगों को बिस्तर भी जल्दी ही छोडऩा पड़ा।
किसानों के चेहरे मुरझाए
बारिश के साथ पडऩे वाले ओलों ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दीं हैं। इसका कारण खेतों में तैयार खड़ी सरसों व चने की फसल है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ओला वृष्टि इन फसलों के लिए नुकसानदायक है। इससे किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं।











