अपना ज्ञान ही अपने काम आता है, दूसरो का नहीः मुनिश्री

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अपना ज्ञान ही अपने काम आता है, दूसरो का नहीः मुनिश्री
        ग्वालियर-ज्ञान की आराधना करने वाले कव पास धन खुद-ब-खुद चला आता है। ज्ञान से बढ़कर कुछ नही होता। दूसरे के ज्ञान पर उत्साहित ना हो, क्योंकि संसार में अपना ज्ञान अपने काम आता है। दूसरों का नही आता। यह विचार जैन मेडिटेषन विहसंत सागर मुनिराज ने आज बुधवार को लोहमंडी स्थित लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर में मंगल प्रवेश के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मंच मुनिश्री विष्वसूर्य सागर महाराज भी मौजूद थे। प्रवचनो से पहले आज मुनिश्री का मंगल प्रवेष उपग्वालियर लोहमंडी जैन मदिर में हुआ। जैन समाज के लोगो ने आरती उतारकर आगवानी की।
         मुनिश्री ने कहा कि ज्ञान की जानकारी और बुद्धि तीनों अलग-अलग चीज है। ज्ञान और जानकारी की चोरी हो सकती है, जबकि बुद्धि की नहीं होती। ज्ञानी व्यक्ति हमेषा लड़ाई-झगड़े से दूर रहता है। सूखी दाल पीसने पर आवाज आती है, लेकिन गीली दाल पीसने का आवाज नहीं आती। हमारी आत्मा भी ज्ञान से गीली हो, तो लड़ाई-झगड़े नही होते है। ज्ञानी जहां भी रहेंगे, वहां झगड़े नहीं होगें, चाहे वह घर, मोहल्ला अथवा देष ही क्यों न हो। मुनिश्री ने कहा ंिक धन याने लक्ष्मी को भी वहीं संभाल सकता है, जिसके पास बुद्धि होती है। पत्नी को श्रीमती और पति को श्रीमान कहते है। श्री में लक्ष्मी का और मति बुद्धि का रूप् है, जबकि श्रीमान में धन के साथ सम्मान जुडा है। लक्ष्मी खडी रहती है। जबकि ज्ञान और बुद्धि बैठे मिलते है। इस मौके पर मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष पदमचंद जैन, मंत्री देवेद्र जैन, नवरंग जैन, दिलीप जैन, राहुल जैन, अभिलाश जैन, रविन्द्र जैन, विमल जैन, मनीश जैन, आलोक जैन एवं प्रवक्ता सचिन विषेश रूप से उपस्थित थे। 
जैन मदिर में प्रवचन होगे, मुनिश्री के ये रहेगे कार्यकाम
      जैन समाज प्रवक्ता सचिन आदश कलम ने बताया कि मुनिश्री विहसंत सागर एवं मुनिश्री विष्वसूर्य सागर महाराज लोहमंडी स्थित जैन मंदिर में मंगल प्रवचन प्रात 8.30 से 9.30 तक होगे। इसके बाद 10 बजे से आहारचर्या, दोपहर 3.30 बजे से तत्वचर्चा एवं साॅयकाल 6.15 से आचार्य भक्ति, गुरूभक्ति एवं आरती होगी।


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